कोरोना संक्रमण का खौफ, कड़ाके की ठंड और घना कोहरा भी श्रद्धालुओं के पैरों की बेड़ियां नहीं बन सका। माघ मेले के पहले स्नान पर्व यानी मकर संक्रांति पर सुबह से ही गंगा, सरयू, यमुना और गोमती नदी के सभी स्नान घाटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई। प्रयागराज, काशी और अयोध्या में ब्रह्ममुहूर्त में ही लोगों का हुजूम हर-हर महादेव और जय श्रीराम के नारे लगाते हुए घाटों पर उमड़ा। प्रशासन का दावा है कि प्रयागराज संगम में सुबह 10 बजे तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। पूरे दिन श्रद्धालुओं के आने, नहाने और दान-पुण्य का सिलसिला जारी रहा।
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गुरुवार से प्रयागराज में माघ मेला शुरू हो गया है। इस बार मेले में 36 स्नान घाट बनाए गए हैं। घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्नान की व्यवस्था की गई है। मेले में हर श्रद्धालु को अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लानी होगी, जो पांच दिन से अधिक पुरानी न हो। सुरक्षा और संक्रमण के खतरे को देखते हुए महिला हेल्प डेस्क और कोरोना हेल्प डेस्क भी बनाई गई है। प्रशासन का अनुमान है कि इस बार तीन से चार करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे। मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक, मेले में हर तरह से तैयारी पूरी है। सुरक्षा-व्यवस्था चाक चौबंद है। कोरोना के खतरे को देखते हुए तैयारी और बेहतर की गई है। मेले में अधिक भीड़ न हो, इसलिए सिर्फ जरूरी दुकानों को ही अनुमति दी गई है। मेले में आने के लिए 16 प्रवेश मार्ग बनाये गये हैं। हर गेट पर थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था है। 13 थाने और 38 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। पुलिसवाले मेले में घूम-घूमकर सुनिश्चित करेंगे कि लोग मास्क पहनकर ही निकलें। इसके अलावा कोरोना रिपोर्ट चेक करने की जिम्मेदारी भी उनकी होगी।
मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि तक लाखों साधु-संत और श्रद्धालु अस्थाई निवास बनाकर माघ मेले में रहते हैं, जिन्हें कल्पवासी कहा जाता है। इस बार माघ मेले में 45 दिन का ही कल्पवास हो पाएगा, क्योंकि प्रशासन ने माघ पूर्णिमा तक ही कल्पवास की छूट दी है। सभी तीर्थ पुरोहितों से आने वाले कल्पवासियों का डेटाबेस लेकर वेबसाइट पर अपलोड की जा रही है। 15-15 दिनों एक अंतराल पर हर कल्पवासी की दो बार रैपिड एंटीजन किट से कोविड जांच भी कराई जाएगी। शुरुआत में वह कोरोना की रिपोर्ट लेकर आएंगे। इसके बाद दो बार उनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा। एक भी श्रद्धालु की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर शिविर के सभी श्रद्धालुओं को 15 दिनों के लिए आइसोलेट किया जाएगा। इस बार माघ मेले में इस बार पंडाल लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। सिर्फ आश्रमों या कल्पवास के लिए पंडाल लगाया गया है।
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