पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सर सैयद की सेवाभाव और बिना भेदभाव की शिक्षा को भी याद किया. देश की बहस में चर्चा है कि प्रधानमंत्री ने AMU के कल्चर को मिनी इंडिया कहा, तो ये भी साफ किया कि देश की राजनीति और समाज तो इंतज़ार कर सकता है लेकिन देश का विकास अब और इंतजार नहीं कर सकता, इसलिए हर फैसला देशहित में होना चाहिए. सवाल उठता है कि क्या विचारधारा के नाम पर विरोध करने वाले कहीं राष्ट्रवाद की विचारधारा से समझौता नहीं कर रहे हैं?
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