JAIPUR जयपुर के नाई की थड़ी निवासी मोहम्मद अबरार ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके डॉक्टर बनने का सपना पूरा भी होगा। घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण अबरार को लगता था कि उसे 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ना पड़ेगा और उसकी बस्ती के अन्य बच्चों की तरह उसे भी मजदूरी ही करनी होगी। कच्चा मकान और टीन की छत के नीचे अपने परिवार के साथ रह रहे अबरार ने नीट में 665 अंकों के साथ सफलता हासिल की है। हालांकि उसने यह कभी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में यह दिन भी आएगा। उसकी पढ़ाई में लगन इतनी थी कि 12वीं 95 प्रतिशत अंकों के साथ पास की और खुद को समझाया कि आगे बढ़ने के लिए जो पैसा चाहिए, वो उसके मजदूर पिता के पास नहीं है। अबरार खुद कहते हैं कि मेरा डॉक्टर बनने का सपना एक महंगा सपना है, यह मैं अच्छी तरह जानता था, इसलिए उम्मीद नहीं थी कि मैं आगे बढ़ सकता हूं क्या?
पिता ने बेचा रिक्शा की मजदूरी
पिता इस्लाम खान बताते हैं कि बेटा अबरार हर कक्षा में अच्छे नंबर लाता था। इसके सभी अध्यापक कहते थे कि नाम रोशन करेगा, लेकिन उसके लिए पैसा चाहिए। और एक गरीब इंसान के पास इतना पैसा कहां से आए कि कोचिंग क्लास का खर्च वहन कर सके। मैं पहले रिक्शा चलाता था, लेकिन अभी कोरोना काल में उसे भी बेचना पड़ा, तब घर चल पाया। अब लोगों के यहां रंगाई का काम कर घर चला रहा हूं।
मदद मिली लोगों से
इस्लाम खान बताते हैं कि अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ के सभी लोगों की मदद से बेटे को अच्छे कोचिंग में एडमिशन मिल गया और सालभर की मेहनत भी कर ली। वहीं मोहम्मद अबरार कहता है कि मैं इस मदद के कारण ही मेरे हौसलों को उड़ान मिल पाई और मेहनत रंग लाई। मैं इस मदद को बेकार नहीं करना चाहता था। इसलिए दिन में 18 घंटे पढ़ाई की।
इनका कहना है
हमें पता चला कि बच्चा 12वीं में 95 प्रतिशत नंबर ला चुका है और डॉक्टर बनना चाहता है तो महासंघ के सभी लोगों की मदद से इसे कोचिंग दिलवाई। अब महासंघ की ओर से हर साल 35 गरीब बच्चों को निशुल्क नीट की तैयारी करवाई जाएगी।
हारुन खान, प्रदेशाध्यक्ष, अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ