दरअसल इंदौर में कोरोना महामारी से बचाव के चलते दुर्गोत्सव को भव्यता से मनाए जाने के बजाय सीमित रूप से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मनाए जाने के निर्देश जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं। इंदौर में नवरात्रि का पर्व आस्था और उल्लास के साथ तो मनाया जाता ही था, साथ ही यहां होने वाले गरबा मंडलों के आयोजन शहर को गुजरात की तर्ज पर यादगार बना देते हैं, लेकिन इस बार गरबा उत्सव नहीं होने का असर शहर के लाखों लोगों के उत्साह के साथ उन लोगों पर भी पड़ेगा, जिनके व्यापार व्यवसाय 9 दिन के आयोजन की वजह से चल पाते हैं। गरबा उत्सव के माध्यम से जहां लोग माता की भक्ति करते हैं, वही इन आयोजनों के लिए संगीत कलाकार, किराए की गरबा पोशाकों के व्यापारी, मंच बनाने वाले, पंडाल सजाने वाले और अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएं जुटाने वाले लोग 9 दिनों में कई महीनों की आजीविका की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 के मद्देनजर प्रशासन ने गरबो की अनुमति नहीं दी है। ऐसे में अब आयोजनों की व्यवस्थाओं से जुड़े व्यापारी प्रशासन से रियायत देने की अपील कर रहे हैं।