राज्य की 6 नगर निगमों के चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीति में भाग्य आजमाने के इच्छुक लोग सक्रिय हो गए हैं, क्योंकि वार्ड पार्षद का पद ही राजनीतिक मंजिल की पहली सीढ़ी होता है, इस लिहाज से हर वार्ड में बड़ी संख्या में लोग चुनाव में खड़े होने के लिए तैयार हैं. बड़ी पार्टियों के चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरने पर जीतने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए कांग्रेस और भाजपा का टिकट हासिल करने के लिए लोग जी जान से जुटे हुए हैं. पार्टी के छोटे कार्यकर्ता से लेकर नए उम्मीदवार और कई अन्य प्रोफेशनल लोग भी चुनाव में उतरने का मन बना चुके हैं. हर एक वार्ड में कई दावेदार होने के कारण पार्टियों को उम्मीदवार तय करने में काफी सोचना विचारना पड़ रहा है .ऐसे में दावेदार का बायोडाटा अर्थात उसका संक्षिप्त जीवन परिचय काफी इंपॉर्टेंट हो जाता है. जिन लोगों की अपने क्षेत्र में अच्छी खासी लोकप्रियता है तथा जो पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में भी बहुत सक्रिय हैं ऐसे लोगों को टिकट देने में प्राथमिकता रहने की संभावना है .लिहाजा लोग अपना बायोडाटा वजनी बनाने में जुटे हुए हैं. मगर बायोडाटा वजनी होने का मतलब यह नहीं कि बायोडाटा के पन्नो की संख्या बढ़ा दी जाए. टिकट के मामले में दावेदार के कार्यों का वजन ही उसके किस्मत का फैसला करेगा. देखिए इस मुद्दे पर कार्टूनिस्ट सुधाकर का नजरिया