विश्व भर में अपना कहर दिखा रहे कोरोना वायरस का भारत में भी प्रकोप बढ़ता जा रहा है.देश में कोविड मरीजों की संख्या अब 56 लाख से भी ज्यादा हो गई है. वही मरने वालों का आंकड़ा भी 90 हज़ार को पार कर गया है. संक्रमण के शुरुआती दौर कोरोना मरीजों में बुखार, खांसी, और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण नजर आते थे ,मगर अब बिना लक्षणों वाले मरीज भी मिल रहे हैं .कई ऐसे मरीज भी है जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद उनके फेफड़ों में भारी संक्रमण मिला है. अधिकतर मरीजों की स्थिति फेफड़े डैमेज होने के कारण खराब हो रही है. फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन देनी पड़ रही है .इसलिए अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग बढ़ती जा रही है और मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई है .निश्चित रूप से यह समय मनुष्य को प्रकृति के महत्व के बारे में भी बताएगा, क्योंकि आधुनिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य लगातार प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है. जंगल के जंगल काटे जा रहे हैं हवा प्रदूषित कर दी गई है ,पानी भी साफ नहीं रहा. पेड़ों से मुफ्त में ऑक्सीजन मिलने के कारण मनुष्य को इसकी कीमत का अंदाजा नहीं था मगर अब कोरोना काल में उसे ऑक्सीजन और ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों का महत्व पता चल रहा है. इस तरह हम कह सकते हैं कि कोरोना जाने से पहले पूरी मानव जाति को कुदरत का महत्व समझा जाएगा. देखिए इस मुद्दे पर कार्टूनिस्ट सुधाकर सोनी का नजरिया