किसानों पर सरकार की मार
रबी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया
लेकिन पिछले 6 साल में सबसे कम बढ़ोतरी
घाटा उठाकर उपज बेच रहे किसान
सरकार ने भले ही रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफे का एलान कर दिया हो लेकिन किसान महापंचायत का कहना है कि खरीद के बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी की सार्थकता नहीं है क्योंकि किसानों को अपनी उपज को घाटा उठाकर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
साल भर चालू रखी जाए खरीद
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि रबी की 6 उपजों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की सार्थकता तभी है जबकि सरकार इन उपजों की दाने दाने की खरीद ग्राम स्तर पर वर्षभर चालू रखे। उनका कहना था कि यह सही है कि गेंहू में 50 रुपए, जौ में 75 रुपए, सरसों एवं चना में 225 रुपए, मसूर में 300 रुपए तथा कुसुम में 112 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है लेकिन एक साल में खेती में काम आने वाले डीजल में एक लीटर पर 15 रुपए से अधिक बढ़ चुके हैं।