टीवी चैनलों पर कई बार एक विज्ञापन आता है ,जिसमें एक धन वर्षा यंत्र दिखाया जाता है. विज्ञापनदाता यह दावा करते हैं कि इस यंत्र को घर में लाने से घर में धन की बारिश होगी. यंत्र का तो पता नहीं, मगर इन दिनों कोरोना निजी अस्पताल संचालकों के लिए सचमुच धन वर्षा यंत्र बना हुआ है. देश और प्रदेश में निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के नाम पर खुली लूट मचा रहे हैं. हालात यह है कि मरीजों के इलाज का सिर्फ 1 हफ्ते का बिल कई लाख रुपयों का बन रहा है. सरकारी अस्पतालों की लापरवाही और वहां बेड की कम संख्या के कारण लोगों को मजबूरन अपने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ रहा है, और इसी आपदा को निजी अस्पतालों ने अवसर में बदल दिया है. हालात इतने खराब है कि राजस्थान में सरकार द्वारा कोरोना जांच की दर 1200 रुपए तय करने के बावजूद कई अस्पतालों ने 2200 रुपये वसूल किये हैं. ऐसे में जनता की हालत इधर कुआं उधर खाई जैसी हो गई है. एक तरफ सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था है तो दूसरी तरफ निजी अस्पतालों की लूट. ऐसे में आम आदमी कहां जाए, यह एक विचारणीय प्रश्न है. देखिए इस मुद्दे पर कार्टूनिस्ट सुधाकर का अंदाज ए बयां.