जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए सजी फलों की दुकानें

2020-09-09 6

चौरी भदोही अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए जहां माताएं जिउतिया का व्रत रखती हैं। जिसको जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष अश्वनी महासके कृष्ण पक्ष अष्टमी को पड़ता है। वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत करती हैं। इसमें महिलाएं करीब 24 घंटे निर्जला और निराहार व्रत करती हैं यह व्रत कैसे आरंभ हुआ। इसके बारे में महाभारत काल से जुड़ी एक कथा है। महाभारत के युद्ध के बाद अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा पांडवो से नाराज थे और उनके अंदर बदले की भावना की आग बहुत तीव्र हो रही थी। इसी कारण उसने पांडव के शिविर में घुसकर द्रोपदी के पांचों पुत्रों को सोती अवस्था में पांच पांडव समझ कर मार दिया। इस अपराध के कारण अर्जुन ने उससे बंदी बना लिया था और अश्वत्थामा की दिव्य मणि छीन ली थी मणि छीनने के बाद अश्वत्थामा ने उत्तरा की संतान को घर में मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। इसे निष्फल करना नामुमकिन था व उत्तरा की संतान का जन्म लेना आवश्यक था इस कारण भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की संतान को देकर उसको गर्भित किया। गर्भ में जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा आगे जाकर यही राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुए और इसी कारण यह व्रत किया जाता है। इस बार अश्वनी कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 9 सितंबर की रात 9:46 पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर तक रहेगी। महिलाएं रात में नहाए करती हैं और इसके बाद सुबह पूजा स्थल पर जाकर अपने व्रत का पारण करती हैं और अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए मंगल कामना करती हैं, वह मंगल गीत भी गाती हैं।

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