राम के चित्रकूट जाने के पश्चात सुमंत्र गुरुदेव वशिष्ठ को साथ लेकर राजा दशरथ के पास जाते है, जहाँ गुरुदेव उन्हें धर्म का उपदेश देते है। परन्तु वो राम के वियोग में तड़पते रहते है उन्हें अपना वो कर्म याद आता है जब उन्होंने अपनी अज्ञानता में निर्दोष श्रवण कुमार की हत्या कर दी थी। तब श्रवण कुमार के माता पिता ने उन्हें श्राप दिया था की वो भी अपने पुत्र के वियोग में ही अपने प्राणो का त्याग करेंगे। तब वे राम के वियोग में तड़प कर अपने प्राणो का त्याग कर देते है।