नहीं रही हाथिनी रानी
पांव में सूजन के कारण अस्वस्थ थी हथिनी 99
35 साल थी रानी की उम्र
एक सप्ताह से चल रही थी अस्वस्थ
चार पांच दिन से थी पांव में सूजन
आमेर स्थित कुंडा गांव में हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है। हाथी गांव में देर रात करीब 9 बजे हथिनी नम्बर 99 की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि हथिनी का नाम रानी था और वह करीब 35 साल की थी। रानी एक सप्ताह से अस्वस्थ चल रही थी। हाथी गांव के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉक्टर नीरज शुक्ला ने बताया कि चार.पांच दिन से हथिनी के पांव में सूजन थी जिसके कारण उसके पांव में दर्द था। रानी का उपचार लगातार किया जा रहा था जिससे उसकी हालत में काफी सुधार भी हुआ था लेकिन अचानक वह फिर अस्वस्थ हो गई। अस्वस्थता के चलते उसकी देर रात मौत हो गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हथिनी ने अस्वस्थ होने के कारण एक दिन पहले खाना.पीना भी बंद कर दिया था। मृतक हथिनी के पोस्टमार्टम के बाद उसकी मौत के कारणों का पता चल पाएगा लेकिन सूत्रों के मुताबिक हाथी गांव में रह रहे हाथी टीबी से पीडि़त हैं।
कोरोना काल में चार हाथियों की मौत
आपको बता दें कि हाथी गांव में 102 हाथी रह रहे हैं उसमें से रानी समेत चार हाथिनियों की अब तक इस कोरोना काल में मौत हो चुकी है। जिसमें हथिनी नंबर 24, 64 और 132 शामिल हैं। गौरतलब है कि रानी के पूर्व लॉकडाउन की अवधि में टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस ने अब तक तीन हाथियों की मौत हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले ही हाथी गांव में हाथियों का मेडिकल चैकअप करवाया गया था और उनकी टीबी की जांच की गई थी। जांच में सात
हाथियों में टीबी के लक्षण मिले थे, लेकिन इसके बाद भी वन विभाग के पशु चिकित्सक इनके इलाज में लापरवाही बरतते रहे। आपको बता दें कि जो चिकित्सक हाथी गांव में इन दिनों इनका इलाज कर रहे थे उन पर पहले वन्यजीवों
को ट्रैंक्यूलाइज करने में ओवरडोज देने के मामले में आरोप लग चुके हैं।