भगवान राम अपने मित्र निषादराज गुहु और सीता जी व लक्ष्मण के साथ भारद्वाज मुनि के आश्रम में पहुंचे वहां से मुनि के परामर्श पर यमुना नदी को पार करके चित्रकुट की और चल दिये। चित्रकूट पहुँचकर उन्होंने वाल्मीकि ऋषि से आशीर्वाद लिया तथा वन में उपस्थित साधारण नागरिको की साहयता से अपनी कुटिया का निर्माण किया।