एक तरफ तो सरकार विकास की दुहाई देते हुए डुगडुगी बजा रही है तो वहीं दूसरी तरफ गांव के लोगों का राष्ट्रीय से निकलना दुश्वार हो गया है । सालों से नरखीय जीवन जीने को मजबूर हजारों लोग विकास के सपने सजाए हुए बैठे हैं लेकिन ना तो विकास ने इस गांव की सुध ली और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने । रास्ते से गुजरते वक्त यहां से पैदल चलना दुश्वार हो जाता है और कई बार तो आने जाने वाले लोग इस रास्ते में एक के बाद एक गुलाटी खाते हुए निकलते हैं । जनप्रतिनिधि है साहब उन्हें जनता का कोई एतवार ही नहीं जनता मरती है तो मरे उन्हें तो सिर्फ कुर्सी से प्यार है और जनता का जीना दुश्वार है ।
चुनाव के समय पर हर नेता और मंत्री विकास के वादे करता है और विकास कराने के सपने दिखाता है ,लेकिन गोवर्धन क्षेत्र के गांव मंडोरा में लगता है कि विकास कभी आया ही नहीं यहां के लोग सालों से बद से बदतर जिंदगी जी रहे हैं । 100 परिवारों के हजारों लोग इस रास्ते से निकलते हैं और रास्ते का जो हाल है उसे देख कर आपको अंदाजा ही लग जाएगा कि वाहन से चलना तो दूर यहां पैदल भी चलना दुश्वार है साहब । स्थानीय लोगों का कहना है रास्ते की नफरत होने के बावजूद भी यह रास्ता 20 साल से ऐसी स्थिति में आज भी है कई प्रधान बदल गई लेकिन इस रास्ते की सूरत नहीं बदली । विकास को लाने के बाद ही तो बहुत किए जाते हैं लेकिन 20 साल से इस गांव में विकास ही नहीं आया । सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली सरकार लगता है अपनी आंखें बंद करके बैठी हुई है जिले के कद्दावर मंत्री होने के बावजूद भी आज भी सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां लोग बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं और उन गांव में विकास नाम की कोई चिड़िया आज तक पर नहीं मार पाए । गांव मडोरा की रहने वाली चंदा और शिवराम नाम की युवक ने बताया कि कई प्रधान बदल गए आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता । जीतने के बाद दोबारा कोई मुड़कर नहीं देखता। गांव वालों ने बताया कीचड और जलभराव की समस्याओं को लेकर हमने ग्राम प्रधान उस्मान से कई बार शिकायत कर चुके हैं आज तक खरंजा नहीं बना । ग्रामीणों ने बताया वारिस के समय में निकलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बच्चे और बुजुर्ग कीचड़ में गिर जाते हैं ।