भगवान राम ने श्रृंग्वेरपुर पहुंचकर अपने मित्र निषादराज गुहु से भेंट की जहां उन्होंने रात्रि में विश्राम किया तथा प्रातः गंगा किनारे पहुंचे जहां केवट ने उनके चरण धोये फिर उन्हें गंगा पार कराया। गंगा पार करके श्री राम प्रयागराज पहुंचे जहां से वो भरद्वाज मुनि के आश्रम की और चल दिये।