मां ज्वाला देवी के मंदिर में विराजमान है दुर्लभ गणेश प्रतिमा

2020-08-27 13

हिन्दू धर्म में भगवान गणपति का विशेष स्थान है गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से अनंत चौदस तक गणपति की आराधना विशेष तौर पर की जाती है। इन दिनों सारे देश में गणपति उत्सव की धूम रहती थी। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार सार्वजनिक पंडाल ओर गणेशोत्सव नही मनाया जा रहा है। गणपति के प्रसिद्ध मंदिर बिना भक्तों के सूने पड़े है। ऐसे में हम आपको दर्शन करवा रहे है। बुंन्देलखण्ड अंचल के सागर जिले में विराजमान अदभुत गणेश प्रतिमा के। यू तो सारे भारत वर्ष में भगवान गणेश के अनेकों प्रसिद्ध मंदिर हैं। बुंन्देलखण्ड अंचल में भी गणपति आराधना प्राचीन समय से की जाती है। यहां भी अनेकानेक प्राचीन प्रतिमाएं पाई जाती है। लेकिन पुरतत्वविक महत्व की इन प्रतिमाओं का ज्यादा प्रचार प्रसार न होने से लोगो को इसकी जानकारी नही है। ऐसी ही एक दुर्लभ प्रतिमा सागर जिले के ग्राम जलंधर में विराजमान है। जिले के जरुआखेड़ा कस्बे के पास ग्राम जलंधर में ऊंची पहाड़ी पर मां ज्वाला देवी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां मां ज्वाला देवी की प्रतिमा के साथ गणेश भगवान की बड़ी ही दुर्लभ प्रतिमा मंदिर में विराजमान है। भगवान गणेश की प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह प्रतिमा अति प्राचीन है। जिनकी जांघ पर रिद्धि और सिद्धि दोनों विराजमान है।

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