पिता के मनोरथ को समझ कर श्री राम ने वन जाने का निश्चय किया तथा माता कौशल्या से आज्ञा लेने गये। राम के वनवास की सुचना पाकर लक्ष्मण को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपने शस्त्र उठा लिये। श्री राम के समझाने पर वह शांत हुऐ तथा वह और सीता जी भी राम के साथ वन को जाने का हठ करने लगे।