उज्जैन। प्राचीन काल में चोरों के आराध्य रहे चोर गणेश का यह दुर्लभ मंदिर उज्जैन में खाकचौक क्षेत्र में स्थापित है। इनका वास्तविक नाम दुर्मुख गणेश था, लेकिन चोरों के आराध्य बन जाने के कारण भक्त भी इन्हें चोर गणेश पुकारने लगे। पुजारी ने बताया कि भगवान राम अपने वनवास काल में जब अवंतिका नगरी आए थे, तब माता सीता ने यहां षड्विनायक की स्थापना की थी, यह मंदिर उस समय का है। स्कंध पुराण में इस मंदिर का वर्णन दुर्मुख गणेश के नाम से उल्लेखित है। प्राचीन समय में यहां बहुत घना जंगल हुआ करता था। चोर इनके दर्शन करके, मन्नत मांगते थे कि हम नगर में चोरी करने जा रहे हैं, किसी तरह का विघ्न न आए। बाद में जब वे चोरी करके लौटते थे, तो चोरी के माल का एक हिस्सा भगवान गणेशजी को चढ़ाते थे। तभी से इनका नाम चोर गणपति पड़ा।