राजा दशरथ ने महऋषि विश्वामित्र के वचन को सुनकर की मनुष्य को समय रहते ही अपनी आध्यात्मिक उन्नति का विचार करना चाहिये उन्होने श्री राम के राज्यभिषेक का निश्चय कर और अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिये वन जाने का विचार किया। इसलिये राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा लेकर श्री राम के राज्यभिषेक की घोषणा की और स्वयं तपस्या करने का निश्चय किया। राम के राज्यभिषेक की खबर को सुनकर सारी अयोध्या आनंद से झूमने लगी।