शहर में लगातार कोरोना संक्रमण फैलने के बढ़ते मामले और पांच महीने से ज्यादा बीतने के बाद भी स्थिति कंट्रोल नहीं होने के मामले में अब हाई कोर्ट की शरण ली गई है। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल कर आरोप लगाया गया है कि संक्रमितों और मृतकों के आंकड़ों में गड़बड़ी हुई है वही स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोनो को लेकर की गई खरीदी में भ्रष्टाचार, केंद्र के प्रतिबंध के बावजूद लॉकडाउन में गुटखा और पान मसाला सप्लाय की अनुमति हुई है। आज जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद शासन को दो सप्ताह में स्पष्टीकरण पेश करने के आदेश दिए हैं। दरअसल सूचना के अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने एडवोकेट अंशुमान श्रीवास्तव के माध्यम से यह याचिका दायर की है। नई दिल्ली के सीनियर एडवोकेट अरविंद नायर ने याचिका पर पैरवी की और बताया कलेक्टर मनीष सिंह सहित जिला प्रशासन के मनमाने और गलत फैसलों के कारण इंदौर में कोरोना फैला और पूरे देश में हॉट स्पॉट शहरों की सूची में शामिल हो गया। केंद्र सरकार की सख्ती गाइड लाइन के बावजूद लॉकडाउन में गुटखा और पान मसाला सप्लाय की परमिशन जिला कलेक्टर और उनके मातहत ने जारी की। शुरू से टेस्टिंग की गति धीमी रही और उसे लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। संक्रमितों और मृतकों के आंकड़ों में हैराफेरी करके जनता को गुमराह किया गया। शुरूआती दौर में कोरोना से जुड़ी मौतों को सामान्य बताया गया और बाद में सामान्य मौतों को भी कोरोना संक्रमितों की सूची में शामिल किया। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में स्पष्टीकरण पेश करने के आदेश दिए हैं।