लखीमपुर खीरी:-दुधवा नेशनल पार्क के मैलानी रेंज में जंगल के निकट बाघिन के शिकार के तरीके ने जहां वन्यजीव विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है, वहीं मारी गई बाघिन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। इस बाघिन को नायलॉन की रस्सी का फंदा लगाकर मारा गया था और इस ढंग से शिकार का यह पहला मामला बताया जा रहा है। वहीं, डब्ल्यूआईआई के रिकॉर्ड में बाघिन के शरीर की धारियों का रिकॉर्ड न मिलने से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बाघिन का बसेरा अधिकतर समय जंगल से बाहर खेतों में रहा, जिससे कैमरों में तस्वीर कैद नहीं हो सकी, या फिर नेपाल के जंगलों से आई। हालांकि, इसके लिए बनाई गई उच्चस्तरीय कमेटी जांच कर रही है। 11 अगस्त को दुधवा नेशनल पार्क के मैलानी रेंज के बफर जोन में स्थित गांव जटपुरा में एक खेत में बाघिन का शव मिला था। उसे नायलॉन की रस्सी से फंदा लगाया गया था। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघिन ने इस रस्सी को निकालने की कोशिश की, पर इस कोशिश के दौरान उसे गहरे घाव हो गए। इससे उसकी मौत हो गई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर शिकारी क्लच वायर का इस्तेमाल करते हैं। नायलॉन की रस्सी के इस्तेमाल का यह पहला मामला है। बाघिन के नाखून, हड्डियां, दांत, खाल और मूंछ के बाल उसके शरीर पर ही मिले। शिकारी इन्हीं चीजों के लिए किसी टाइगर को मारते हैं। अभी तक के टाइगर के शिकार के जितने मामले सामने आए हैं, उनमें इस जीव को पैर में फंदा लगाकर फंसाया जाता है। शिकारी गले का फंदा नहीं लगाते, क्योंकि इससे उसकी खाल खराब हो जाती है और तस्करी के दौरान सही दाम नहीं मिल पाते। वन एवं वन्य जीव विभाग इन सबके पीछे के कारणों की पड़ताल करवा रहा है।