सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट आता है और इसके विरोध में पूरे बैंगलुरु शहर में हिंसा भड़क उठती है. पुलिस टीम पर मजहबी नारे लगाते हुए पथराव होता है. उपद्रवी जम कर हंगामा करते हैं. देखते ही देखते बैंगलुरु को बंधक बना लिया जाता है. क्या इस दंगे के पीछे कोई साजिश थी? और खुद को सेक्युलर कहने वाला खेमा आज क्यों खामोश है?