महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पहले जान लें ये जरूरी बातें ------
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल है
काल के दो अर्थ होते हैं--- एक समय—और-- दूसरा मृत्यु---, महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि, प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था-- इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है,--- पौराणिक कथा के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना राजा चन्द्रसेन और गोप-बालक की कथा से जुड़ी है,
महाकाल का मंदिर तीन खंडों में विभाजित है-
निचले खंड में महाकालेश्वर,-- मध्य खंड में ओंकारेश्वर--- तथा--- ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है,
गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है
महाकाल में मंदिर 5 आरती होती है,
कालों के काल महाकाल के यहां प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती होती है
महाकाल के चार रूप दिखे, पहले सेहरा, फिर भस्म रमाई, बाद में निराकार और भांग का श्रृंगार
मंदिर परिसर से शाम 4 बजे बाबा चांदी की पालवकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे
नगर भ्रमण पर निकले बाबा महाकाल, चंद्रमौलेश्वर और मनमहेश स्वरूप में दिए भक्तों को दर्शन
महाकाल के केवल दर्शन से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है