केंद्र सरकार के खेती किसानी से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ किसान लामबंद होते दिखाई दे रहे हैं। किसान संगठन इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जताने के लिए ट्रैक्टरों के साथ सड़कों पर उतर गए हैं, जबकि केंद्र सरकार इसे किसानों के लिए फायदेमंद बता रही है। प्रदेश के किसान भी इन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। विरोध स्वरूप किसान आज कृषि उपज मंडियों में अपने अपने ट्रेक्टरों के साथ पहुचे और विरोध जताया। उन्होंने विरोधस्वरूप ट्रैक्टरों पर काले झंडे भी लगाए। जयपुर जिले की दूदू मंडी से ट्रेक्टरों का काफिला उपखंड अधिकारी दूदू के कार्यालय पहुंचा और उपखंड अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के साथ ही कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश 202०, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान सशक्तिकरण और सुरक्षा समझौता,अध्यादेश, 2020 को वापस लेने का आग्रह किया है।
सरकार पर षडयंत्र का आरोप
किसानों ने चेतावनी भी दी है कि यदि केंद्र सरकार एेसा नहीं करेगी तो उन्हें किसानों का विरोध झेलने के लिए तैयार रहना होगा। वहीं किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के चना की खरीद तो नहीं कर रही है तथा तिलहन दलहन की उपजों के 25 फीसदी से अधिक खरीद पर प्रतिबंध लगा रखा है। यानि जो काम केंद्र सरकार को करना चाहिए, वह तो कर नहीं रही बल्कि कृषि उपजों के व्यापार पर पूंजीपतियों को एकाधिकार सौंपने जैसा नहीं करने योग्य काम कर रही है। इतना ही नहीं कृषि उपज मंडियों को समाप्त करने का षडयंत्र भी चलाया जा रहा है। जिससे किसानों में आक्रोश है।