2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद गैंगस्टर विकास दृबे ने 154 घंटे में चार राज्यों की सीमाएं नाप दीं। वह रात-दिन भागता रहा। पुलिस की निगाहें उसकी तलाश में गिद्ध की तरह लगी रहीं। लेकिन, यूपी पुलिस उसकी परछाईं तक तलाश न सकी। यूपी पुलिस ने 100 टीमें इसे पकडऩे के लिए लगाईं थीं। कुल 1500 से अधिक पुलिस इंस्पेक्टर और सिपाही इतने ही खुफिया पुलिस के जवान इसकी तलाश में जुटे थे। लेकिन यह पुलिस को चकमा देते हुए कभी साइकिल, कभी मोटर साइकिल तो कभी ट्रक पर सवार होकर यूपी की सीमा लांघ कर हर राजस्थान हरियाणा से लेकर मध्य प्रदेश तक घूमता रहा। इधर, पुलिस उसके गुर्गों के इनकाउंटर में ही उलझी रही उधर, विकास दुबे 9 जुलाई की सुबह करीब पौने 10 बजे उज्जैन पहुंचकर यूपी पुलिस को चौका दिया।
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विकास दुबे की तलाश में पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस जी जान से जुटी थी। लेकिन, वह लगातार पुलिस की आंखों से ओझल होता रहा। पुलिस ने विकास दुबे के राइड हैंड और शार्प शूटर अमर दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। 4 दिन के भीतर विकास दुबे के सिर पर इनाम की राशि 50 हजार से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया। बावजूद इसके यूपी पुलिस उस तक न पहुंच पायी। अब तक के इनपुट से साफ है विकास दुबे अपनी मर्जी से सामने आया। उसने खुद अपनी पहचान बताई। वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में चिल्ला-चिल्ला कर खुद को विकास दुबे बताता रहा। शायद उसे एनकाउंटर का खौफ था। उसे मुठभेड़ में मार गिराने का डर था। इसलिए वह उज्जैन पहुंचा। यह अलग बात है कि अब मप्र पुलिस उसे पकडऩे का दावा कर रही है।