इंद्र ने की थी तपस्या, इंद्रेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा था इंदूर नाम

2020-07-06 59

श्रावण माह के पहले सोमवार के मौके हम आपकी ऐसे ही एक शिव मंदिर की कहानी बताएंगे, जो प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में है, जिसके साथ भी कई चमत्कारी मान्यता जुड़ी हुई है। दरअसल इंदौर की हृदय स्थली राजबाड़ा के समीप बसे पंढरीनाथ इलाके में करीब साढे 4000 सालों से स्थापित शिव मंदिर जिसे इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर इंदौर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है, जिसके नाम पर इंदौर शहर का नाम रखा गया था। पूरे देश में अपनी ख्याति बना चुका इंदौर शहर का नाम पहले इंदूर हुआ करता था, जो इसी इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर रखा गया था, जिसे बाद में बदल कर इंदौर कर दिया गया। इस मंदिर की स्थापना एक स्वामी जी ने की थी, जिन्हें भगवान ने सपना दिया था, मुझे खान नदी से निकलवाकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाए, जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव लिंग को नदी से निकालकर किनारे पर ही स्थापित किया गया, बाद में तुकोजीराव प्रथम ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया, वही राज्य में कोई भी परेशानी आने पर वे भी इंद्रेश्वर महादेव की शरण में ही आते थे। मंदिर से जुड़ी ऐसी मान्यता है कि, सफेद दाग से पीडित व्यक्ति अगर दर्शन कर मंदिर के अभिषेक का पानी का उपयोग करते हैं तो उन्हें लाभ मिलता है, कई लोग यहां से पानी ले जाते हैं। इस मंदिर के पुजारी महेंद्र पुरी ने बताया कि इस मंदिर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है जिसके अनुसार देवताओं के राजा इंद्र जब सफेद दाग की परेशानी से पीड़ित थे, तब उन्होंने यहीं पर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें उनकी इस समस्या से निजात मिली थी, एक कारण यह भी है कि इस मंदिर को इंद्रेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है।

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