पहले बेल्लारी और अब यादगीर। उससे पहले पुड्डुचेरी और तमिलनाडु। कोरोना से जान गंवाने वालों का देश के अनेक शहरों में जिस तरह अंतिम संस्कार हो रहा है वह शर्मनाक है। शर्मनाक न केवल सरकार और प्रशासन के लिए बल्कि समूची इंसानियत और हमारी सभ्यता संस्कृति के लिए भी। पेश है राजस्थान पत्रिका के डिप्टी एडिटर गोविन्द चतुर्वेदी की कलम से...दखल...शवों की बेकद्री दुर्भाग्यपूर्ण
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