जयपुर। छोटी काशी में देवशयनी एकादशी एक जुलाई को यानि आज मनाई जा रही है। इसी के साथ पांच माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। वहीं चातुर्मास भी शुरू होंगे। चातुर्मास 26 नवम्बर को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर समाप्त होगा। ऐसे में इस बार चातुर्मास करीब पांच माह रहेगा। इन पांच महीनों में केवल धार्मिक कार्यक्रम ही होंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि इस बार आश्विन अधिक मास आएगा। श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेगा। इसके बाद 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक आश्विन का अधिक मास रहेगा। 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगेे। ऐसे में इस बार श्राद्ध पक्ष और नवरात्र में एक माह का अंतर रहेगा।
25 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी को श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे। इसके बाद नवम्बर और दिसम्बर में सिर्फ आठ सावे है। उनमें भी अबूझ मुहुर्त कोई भी नहीं है। नवम्बर में 25, 30 और दिसम्बर में 1, 7, 8, 9, 10, 11 में विवाह योग बन रहे हैं। इसके बाद नए साल में जनवरी से मार्च तक गुरु और शुक्र ग्रहों के अस्त रहने पर शादियां नहीं होगी। इस साल 58 में से 36 दिन भी शहनाई नहीं बज पाएगी। अप्रैल 2021 से दिसंबर तक 50 से ज्यादा मुहूर्त शादी के रहेंगे।
शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में शाम 5.45 से देवशयनी एकादशी पूजन हुआ। गोविंददेवजी लाल सूूती रंग की नटवर पोशाक में दर्शन देंगे। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शाम 5.45 बजे सालिगरामजी को रथ पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान करवाया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने यहां सालिगरामजी का पंचामृत अभिषेक, पूजन और आरती की। इसके बाद तुलसी महारानी का पूजन किया गया। तुलसी महारानी और सालिगरामजी की चार परिक्रमा करने के बाद सालिगरामजी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा करवाते हुए पुन: गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया। इसके बाद संध्या आरती के दर्शन हुए।