जयपुर। छोटी काशी में आज भी हर साल की तरह गोविंददेव जी मंदिर में रथयात्रा निकल रही है, लेकिन नजारा बेहद अलग नजर आ रहा है। मंदिर परिसर में न पहले जैसी भक्तों की भीड़ हैं और न ही भक्तों को भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य मिल रहा है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के कारण भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया।
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया मंगलवार को उड़ीसा के जगन्नाथ पूरी सहित देशभर में रथयात्रा महोत्सव मनाया गया। वहीं छोटी काशी के गोविन्द देव जी सहित कई मंदिरों में ठाकुरजी को सुबह रथयात्रा निकाली गई। इस बार मंदिरों में भक्तों का प्रवेश निषेध होने व कोविड 19 के चलते रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं मिलने से मंदिर स्तर पर ही रथयात्रा उत्सव मना कर परंपराओं का निर्वहन किया गया। गौरतलब है कि भगवान कृष्ण के कुरुक्षेत्र में चंद्रग्रहण उत्सव मनाने के बाद वृंदावन लौटने की खुशी में यह उत्सव मनाया जाता है। तब गोपियों ने स्वयं अपने हाथों से उनका रथ खींचा था।
आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में आज सुबह परंपरागत रथयात्रा निकाली गई। श्री विग्रह गौर-गोविंद को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भगृह की परिक्रमा करवाई गई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ठाकुरजी के रथ को खींच कर परंपरा का निर्वहन किया। मंदिर के पश्चिम द्वार से निज मंदिर तक माध्व गौड़ीय संप्रदाय की परम्परा के अनुसार भजन मंडली के साथ हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। रथ में अष्ट धातु निर्मित गौर-गोविंद का विग्रह पर जयकारों और भजनों की मधुर स्वर लहरियों के बीच पुष्प वर्षा की गई। चार परिक्रमा करा गौर गोविंद को फिर से गर्भगृह में विराजमान कराया गया। मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि कोविड-19 के चलते किए गए लॉकडाउन से श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है। श्रद्धालुओं को रथायात्रा उत्सव के दर्शन ऑनलाइन करवाए गए।
उन्होंने बताया कि गौर गोविंद का विग्रह अष्ट धातु का है, जो गोविंददेवजी के दायीं ओर प्रतिष्ठित है। यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के नीलाचंल से अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य रूप गोस्वामी के पास भिजवाया था।