कोरोना का बड़ा असर देश की आर्थिक, सामाजिक स्थिति पर पड़ा है। मध्यम वर्ग और मजदूर वर्ग पर इसका बड़ा असर देखा जा रहा है। पलायन में जहां लोगों के काम धंधे छूटे हैं तो बच्चों की स्कूलों पर भी असर पड़ा है। राजस्थान में किशोरियों की शिक्षा पर काम कर रही संस्था एजुकेट गल्र्स की प्रोजक्ट लीडर शबनम अजीज का कहना है कि महामारी हो या इकोनॉमी क्राइसिस, समाज में उसका सबसे बड़ा टारगेट किशोरियों की पढ़ाई होती है।
राज्य सरकार बनाए नई नीति
राज्य सरकार को अब बेटियों की शिक्षा को लेकर खास रणनीति बनाने की जरूरत है। जिस तरह से राज्य के लिए महामारी के दौरान स्पेशल राहत पैकेज की नीतियां बनाई जा रही हैं, वैसे ही बच्चियों की शिक्षा के लिए भी राहत पैकेज की जरूरत है। यूनेस्को के मुताबिक देश में 20 करोड़ से ज्यादा महिलाएं अशिक्षित हैं। ऐसे में समय पर कदम नहीं उठाए गए तो स्त्री शिक्षा में पिछड़ जाएंगे।