लॉकडाउन ने लोगों में बढ़ाया डिप्रेशन, कोरोना के कारण बढ़ रहे हैं मानसिक रोगी

2020-06-16 1

लॉकडाउन का अकेलापन, नौकरी चले जाने का डर, घरेलु झगड़े या फिर और कई सारे कारण जिन्होंने मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ा दी है। दुनिया भर के मनोचिकित्सक चेतावनी भी दे रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान पैदा हुई मुश्किलों की वजह से लोगों में मानसिक तकलीफ़ों की ‘सुनामी’ आने वाली है। सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉ. आर. के. सोलंकी ने बताया लॉकडाउन के दौरान कई सारी ऐसी समस्या पैदा हुई है जिसकी वजह से लोगों में डिप्रेशन बढ़ा है। उनका कहना था इस दौरान जो लोग पहले से डिप्रेशन से पीड़ित थे और कोरोना की वजह से डॉक्टर के पास जाने से डर रहे थे उनमे तकलीफ बढ़ गई । कई ऐसे लोग भी है जो आगे आने वाली समस्याओं को लेकर चिंतित है ऐसे में कह सकते है जैसे-जैसे कोरोना का असर कम होगा वैसे-वैसे मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ेगी ।

मनोचिकित्सकों ने एक सर्वे के ज़रिए पता लगाया कि अस्पतालों में मानसिक सेहत से जुड़े आपातकालीन मामलों की संख्या की बढ़त हुई है और नियमित चेकअप के लिए आने वाले लोगों की संख्या कम हुई है ।

ये शुरुआती लक्षण
-बार-बार सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, थकान, और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव।
-चिंता, ग़ुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी,नींद नहीं आना और उलझन हो सकती है।
- बार-बार बुरे ख़्याल आना। जैसे मेरी नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसा चलेगा, मुझे कोरोना वायरस हो गया तो क्या करेंगे। सही और ग़लत समझ ना आना, ध्यान नहीं लगा पाना।


कैसे दूर होगा स्ट्रेस

मानसिक तनाव की स्थिति से बाहर निकलना बहुत ज़रूरी है वरना तनाव अंतहीन हो सकता है। डॉ. आर. के. सोलंकी के मुताबिक़ आप कुछ तरीक़ों से ख़ुद को शांत रख सकते हैं ताकि आप स्वस्थ रहें-

-ख़ुद को मानसिक रूप से मज़बूत करना ज़रूरी है। आपको ध्यान रखना है कि सबकुछ फिर से ठीक होगा बस धैर्य के साथ इंतज़ार करें।
-अपने रिश्तों को मज़बूत करें। छोटी-छोटी बातों का बुरा ना मानें. एक-दूसरे से बातें करें और सदस्यों का ख़्याल रखें। निगेटिव बातों पर चर्चा कम करें।
-आपके जीवन में घटित हुई अच्छी अच्छी बातें सोचे ।
-अपने आप को व्यस्त रखें।

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