आठ दशक बाद भी खड़ी है नेगडिय़ा पुलिया
पानी उतरने के साथ दिखने लगे पिलर
टोंक सहित प्रदेश के कई जिलों की प्यास बुझाने वाली बनास नदी के जलस्तर गिरने के साथ ही नेगडिय़ा स्थित ब्रिटिशकालीन ऑगेलिव ब्रिज के पिलर अब दिखने लगे हैं। करीब आठ दशक से अधिक समय पहले बनी पुलिया आज भी अपने आस्तित्व को जिंदा रखे हुए है। लिहाजा बनास का घूंघट हटते ही ब्रिटिशकालीन पुलिया फिर से दिखाई देने लगी है।
आपको बता दें कि गत वर्ष 2019 में बांध अपने पूरी भराव क्षमता 315.50 आरएल तक पहुंचा था। इससे पहले 313.50 आरएल पर ही पुराने अजमेर.कोटा मार्ग पर नेगडिय़ा गांव स्थित ब्रिटिशकालीन ऑगेलिव ब्रिज जलमग्न हो गया था। ब्रिज के जलमग्न होने का दृश्य बेहद रोमांचक होता है, जिसे देखने के लिए हर वर्ष मानसून सत्र में हजारों लोग नेगडिय़ा जाते हैं। बीसलपुर बांध निर्माण से जुड़े अभियंताओं का कहना है कि इस ब्रिज का निर्माण वर्ष 1935 में ऑगेलिव नामक अंग्रेज अधिकारी ने कराया था। यह एक आर्क ब्रिज है। जिसके सभी पिलर ईंटों पर टिके हैं तथा स्लेब आरसीसी की बनी है, लेकिन ब्रिज के निर्माण की गुणवत्ता इतनी बेहतरीन है कि इसकी उपयोग समय की वैद्यता खत्म होने के बावजूद पिलरमजबूती के साथ टिके हैं। वहीं पांच बार पूरी तरह से जलमग्न रहने के बावजूद ब्रिज सीना तानकर खड़ा है। उधर, बीसलपुर बांध का जलस्तर 313 के करीब आने के साथ ही ब्रिज के अवशेष के रूप में ऊपरी पिलर दिखाई देने लगे हैं। जिन पर बनास नदी की टकराती लहरें आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं।