रूस में इस समय पर्यावरणीय संकट खड़ा हो गया है। यहां का पावर हाउस कहा जाने वाले साइबेरिया में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आपातकाल की घोषणा कर दी है। पूरे रूस के लिए उर्जा का भंडारण करने वाले साइबेरिया के पांच पावर प्लांट में से एक से 20 हजार टन से ज्यादा डीजल बह चुका है। जो आसपास की नदियों से होता हुआ आर्कटिक महासागर तक पहुंच रहा है। इससे जलीय जीवों को लेकर बड़ा नुकसान यहां होने का अनुमान है। इससे पर्यावरण में बदलाव के डर से यहां पर फिलहाल आपातकाल घोषित किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि इस पावर प्लांट यानी उर्जा संयंत्र भंडारण से दो दिनों से डीजल बह रहा है। संयंत्र के कर्मचारियों ने इस घटना की सूचना आपात टीमों को देने की बजाय अपने स्तर पर ही संयंत्र से डीजल बहना रोकने की कोशिश की। स्थिति पर समय पर काबू नहीं होने के बाद इसकी जानकारी बुधवार को राष्ट्रपति व आपात टीमों को दी गई। राष्ट्रपति पुतिन ने इस मामले की आपराधिक जांच के निर्देश दे दिए हैं। संयंत्र के प्रबंधक को हिरासत में ले लिया गया है। घटना साइबेरिया के नॉरिल्स्क शहर के बाहरी इलाके में स्थित ऊर्जा संयंत्र में हुई है। फिलहाल घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है। यहां आपातकालीन टीमें तैनात कर दी गई हैं। एक टीम घटना के कारण और डीजल को संयंत्र से बहने से रोकने के काम में लगी है। वहीं पावर प्लांट के नजदीक बह रही आंबरनया नदी में डीजल के मिलने से रोकने के लिए भी अवरोधक लगाए गए हैं। यह वो नदी है, जिसके जरिए यह डीजल यहां के आर्कटिक सागर तक जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस नदी से जो झील निकलती है, वो आगे चलकर अन्य नदी से मिल जाती है, जो आर्कटिक महासागर की ओर जाती है। यह आर्कटिक महासागर पूरे विश्व के पर्यावरण के लिए बेहद संवेदनशील इलाका माना जाता है। क्लाइमेट चेंज का सबसे बड़ा असर दुनिया में सबसे पहले इसी महासागर पर देखा जाता है। ईंधन यदि बड़े पैमाने पर इन नदियों और उसके जरिए आर्कटिक महासागर तक पहुंचता है तो यहां पर्यावरणीय संकट खड़ा हो सकता है। इससे पहले नदियों के जीवों की जान भी जोखिम में है। इन सभी मुश्किलों को देखते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार को अधिकारियों को इस बहाव से होने वाली क्षति को कम से कम पैमाने पर रोकने का आदेश दिया। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड-रूस के संचालक एलेक्सी निजिनिकोव के अनुसार 20 हजार टन डीजल का बहाव मछलियों और अन्य संसाधनों को नुकसान पहुंचाएगा। महासागर पर भी इसका असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में इससे क्या बदलाव होता है, यह वैज्ञानिकों को देखना होगा। फिलहाल इससे देश को 13 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा।
आपको बता दें कि रूस का यह क्षेत्र पांच पावर प्लांट और कई कारखानों के साथ इस दुनिया के सबसे प्रदूषित स्थानों में से एक है।