यूपी बॉर्डर पर खड़ी बसे क्यों नहीं मिल पाई मजदूरों को ,देखिए कार्टूनी नजरिया

2020-05-20 179

अक्सर ऐसा होता है कि संकट में फंसे आम आदमी को दी जाने वाली मदद हमारी देश में राजनीति का शिकार हो जाती है. इस बात का ताजा उदाहरण है उत्तर प्रदेश में हुआ बस विवाद. उत्तरप्रदेश में फंसे हुए अन्य राज्यों के मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस की ओर से बसों की व्यवस्था करने की पेशकश की गई. जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने उनसे उन बसों के नंबर्स की लिस्ट मांगी. कांग्रेस ने 1000 से ज्यादा नंबरों की जो लिस्ट उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी उसकी जांच में पाया गया कि उनमें से कई नंबर बसों के नहीं थे बल्कि दूसरे वाहनों के थे .इस बात को मुद्दा बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाने शुरू किए जवाब में कांग्रेस की ओर से कहा गया कि जो नंबर वाकई बसों के हैं उन बसों को तो कम से कम उत्तर प्रदेश में दाखिल होने की मंजूरी दी जाए .लेकिन यूपी सरकार ने कागजी खानापूर्ति और दूसरी औपचारिकताओं के नाम पर यह मंजूरी नहीं दी और इस तरह इन दोनों पार्टियों की आपसी राजनीति के कारण मजदूरों को बस नहीं मिल पाई .और अंत में गाज़ियाबाद बॉर्डर पर खड़ी बसें बिना मजदूरों को लिए खाली ही वापस रवाना हो गई .जनता के बीच एक दूसरे को नीचा दिखाने और खुद को लोगों का हितेषी बनाने के चक्कर में दोनों पार्टियों ने मजदूरों के हितों की परवाह नहीं की. राजनीति की इस कड़वी सच्चाई को बयां कर रहा है सुधाकर का कार्टून

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