सोचा नहीं था कि अब अपने परिवार से मिल पाएंगे। मजदूरी बंद हुए 70 दिन हो गए, छोटे- छोटे बच्चों के साथ पूरे परिवार के खाने के लाले पड़ गए। मकान भी खाली करना पड़ा और परदेश में कोई आसरा नहीं रहा। कई दिनों से महिलाओं और बच्चों के साथ सडक़ पर ही सो रहे थे। यह दर्दभरी दास्तान रेवाड़ी हरियाणा में मजदूरी करने वाले बूंदी के ग्रामीण क्षेत्र के मेघवाल व भील परिवार के 18 सदस्यों की है, जो रविवार सुबह बूंदी पहुंचे।