राजस्थान के सीकर जिले की यह तस्वीर बेबसी की है। पेशियों पर बल पड़ चुके एक बुजुर्ग मां—बेटे की भूख की पीड़ा उकेरती इस तस्वीर ने न केवल लॉकडाउन में भूख की पीड़ा को उजागर कर दिया, बल्कि देखने वाले हर शख्स के अंतरतम को हिला दिया।
तमतमाती धूप में एक 60 साल का बुजुर्ग दुबली पतली दुख से भरी काया से अपनी 90 साल की मां को एक पहिये की रेहड़ी पर बिठाकर घसीटता हुआ जैसे ही बैंक पहुंचा, तो मां- बेटे को देख वहां खड़े लोगों के कदम संवेदनाओं से बरबस ही पीछे खिसक गए। हर किसी का ह्रदय हिल उठा। भूख की तड़प को शांत करने के लिए पेंशन के महज एक हजार रुपए निकलवाने के लिए यह बुजुर्ग मां- बेटे सीकर जिले के लोसल कस्बे में बैंक ऑफ बड़ौदा पहुंचे थे।
बात करने पर 60 वर्षीय छीतर ने बताया कि घर में राशन का समान बिल्कुल खत्म हो चुका है। ऐसे में पेंशन की राशि ही पेट की आग शांत करने का एक तरीका बचा है। लिहाजा वह अपनी मां हीरा देवी को पेंशन के 1 हजार रुपए दिलवाने लाया है। इन रुपयों से ही वह अपनी मां की दवाईयां भी लाएगा। छीत्तर ने बताया कि प्रशासन की ओर से उसके परिवार तक कोई राशन या राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई है। किसी भामाशाह की ओर से भी कोई मदद नहीं मिली। कभी कभार कुछ लोग सब्जी- पूड़ी के पैकेटे दे जाते हैं, लेकिन वह भी रोज नहीं मिलने से दोनों समय की भूख मिटाना दूभर हो रहा है।
छीतर व उसकी मां की यह हालत देख कस्बे के लोगों ने शासन व प्रशासन से परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग रखी है। कुछ सामाजिक संगठनों ने भी उनकी हालत को देखते हुए मदद के लिए हाथ बढ़ाने की कवायद शुरू की है।