लाॅकडाउन के चलते गरीब ,बेसहारा मजदूर घरो मे कैद रहने को मजबूर है। केन्द्र हो या राज्य सरकार सभी ने गरीबो के लिए अपने कोष खोल दिये है। प्रधानमंत्री राहत कोष व मुख्यमंत्री राहत कोष मे आम व खास लोगो द्धारा गरीब भूखा ना रहे इसके लिए जमकर अनुदान किया जा रहा है। लेकिन भ्रष्ट्राचारी कोई भी मौका नही छोड़ना चाहते है। इनका केवल एक ही धर्म है किसी तरह से पैसे बनाना। अधिकारियो का भी इन्हे डर नही है । शिकायते की जाती है लेकिन शिकायतो का क्या मतलब क्योकि कार्यवाही तो होने से रही। ताजा मामला है फुलपुर के धोकरी गांव का यहा आपूर्ति निरीक्षक की मनमानी के चलते गरीबो को कई महीने का राशन नही मिला है। गरीब शिकायत करता है लेकिन उसकी समस्या का समाधान नही होता है। ग्रामीणो ने बताया कि हर महीने कार्ड से नाम कट जाता है यूनिट कम हो जाती है। एैसी कौन सी मशीन है या आपरेटर है जिसकी गलती के चलते यह समस्या हर माह आती है। हर माह दर्जनो गरीब खाद्यान से वंचित रह जाता है। राशन के लिए आनलाइन करने को कहा जाता है।आनलाइन के बाद उसे तीन माह बाद ही खाद्यान मिल पाता है। कार्ड कटने से किसका फायदा हो रहा है यह जांच का बिषय है। फलुपुर आपूर्ति निरीक्षक का फोन शायद ही कभी उठ जाय। उपजिलाधिकारी से शिकायत की जाती है तो कार्यवाही की बात करके मामले को टाल देते है। प्रश्न यह है कि भूखा गरीब लाकडाउन का पालन कैसे करे।