ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से SC में दाखिल अपनी याचिका में कहा गया है कि धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस संप्रदाय का हिस्सा नहीं है. AIMPLB ने कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा कि बहुविवाह और निकाह हलाला पर पहले ही 1997 में फैसला सुनाया जा चुका है.