कानूनविद् पहले ही संकेत दे चुके थे कि अयोध्या मसले पर दायर होने वाली पुनर्विचार याचिकाएं सिरे से खारिज होंगी. इसकी एक बड़ी वजह यही बताई जा रही थी कि अयोध्या मसले पर फैसला सर्वसम्मति से आया था. ऐसे में उसके खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं खारिज ही होंगी. हुआ भी यही और गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ बंद कमरे में बैठी और आपसी विचार-विमर्श के बाद सभी 18 याचिकाएं खारिज कर दीं. चूंकि ये रिप्रेजेंटेटिव सूट यानी प्रतिनिधियों के जरिए लड़ा जाने वाला मुकदमा है, लिहाजा सिविल यानी दीवानी मामलों की संहिता सीपीसी के तहत पक्षकारों के अलावा भी कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है.