हमारे देश में सर्वश्रेष्ठ वायु पुरवाई मानी जाती है, और आंथूणी (सूर्यास्त की दिशा) से आने वाली वायु विनाशकारी। पूर्व इंद्र का, अग्नि का क्षेत्र है, पश्चिम वरूण का सोम का क्षेत्र है। अग्नि सरस्वतीका तथा सोम लक्ष्मी का क्षेत्र है। अग्नि आत्मा या अध्यात्म का केन्द्र है, वहीं सोम शरीर अथवा भौतिक पदार्थों का क्षेत्र है। हम कभी जगतगुरू थे आज नकल करके लक्ष्मी के वाहक बनने लगे हैं। पेश है पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी की कलम से...आ, भारत लौट चलें