Nirbhaya Case Update : एक मां के धैर्य की परीक्षा कब तक ?

2020-04-16 5

देश का रेयर ऑफ द रेयरेस्ट मामला माने जाने वाला निर्भया गैंगरेप(Nirbhaya Case) मामला शायद भारत के इतिहास में दर्ज होने वाला ऐसा केस होगा जिसमें जघन्य अपराध के दोषी धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। यह परीक्षा देश की ही नहीं है, बल्कि उस मां की है जो पिछले सात सालों से अपनी बिटिया को न्याय दिलाने के लिए इंसाफ का दरवाजा हर तारीख पर खटखटाती है। अदालतों के चक्कर काट काटकर भले ही उसकी एडियां घिस गई हों, दोषियों को हर बार नई तारीख मिलने के बाद भले ही वो अंदर से हजार बार टूटती हो....लेकिन फिर हिम्मत जुटाती है और समेटती है खुद को ...नई तारीख पर नए संघर्ष के लिए। लेकिन इस मां को हैट्स ऑफ है क्योंकि वो अपने लक्ष्य से डिगती नहीं है। और उस मां का लक्ष्य है अपनी बेटी के कातिलों, उन दरिंदों को फांसी पर झूलते देखना जिन्होंने उसकी बेटी के साथ दरिदंगी की हदें पार करते हुए उसे मौत के दरवाजे तक पहुंचा दिया। निर्भया के इस मामले में अब सुनवाई 11 फरवरी को होगी जब इन दरिंदों को दी गई सात दिनों की मोहलत खत्म होगी...यानि निर्भया की मां आशा देवी को अब 11 फरवरी तक का इंतजार और करना होगा। क्योंकि इन दरिंदों की सभी कानूनी विकल्प खत्म करने की दी गई डेडलाइन 11 फरवरी तक खत्म होगी। मुकेश के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। बाकी के दो दोषियों अक्षय और विनय की भी क्यूरेटिव पेटिशन और दया याचिका खारिज हो चुकी हैं। चौथे दोषी पवन ने न तो क्यूरेटिव और न ही दया याचिका दाखिल की है। यानि केवल पवन की वजह से मुकेश, विनय और अक्षय इन तीनों की फांसी भी रूकी हुई है। अब देखना यह है कि 11 फरवरी से पहले क्या पवन दया याचिका फाइल करेगा या फिर क्यूरेटिव पिटीशन लगाएगा। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट(Patiyala House Court) भी इन चारों दोषियों को नया डेथ वारंट जारी करने की मांग के तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका को खारिज कर चुकी है। कोर्ट का कहना है कि अगर कानून दोषियों को जीने की इजाजत देता है तो उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप होगा।