जयपुर। कोरोना पॉजिटिव...यह सुनते ही इन दिनों सिहरन दौड़ जाती है। दहशत इतनी की लोग उधर से गुजरना तक नहीं चाहते जिन इलाकों में कोई कोरोना संक्रमित हो। लेकिन हमारे बीच ऐसे लोग भी हैं जो न केवल खतरा उठा रहे, बल्कि कोरोना वायरस से भी दो—दो हाथ कर रहे। तब भी जब उन्हें मालूम है मामूली चूक भी जानलेवा हो सकती है। फिर भी वे न डरे, न अपने फर्ज से डिग रहे। ऐसा ही एक कर्मवीर हिमांशु पिछले एक माह से अधिक समय से कोरेाना से जंग में सेनापति की तरह जुटा हुआ है।
पांच साल के बच्चे के जन्मदिन पर भी घर नहीं आ सके
लैब टेक्निशियन हिमांशु कोरोना से जंग में दौसा जिला अस्पताल में आने वाले सभी कोरोना संदिग्ध मरीजों के नमूने खुद या सहयोगियों के माध्यम से ले रहे हैं। वे अब तक सैकड़ों संदिग्धों के सैंपल ले चुके हैं। हालत यह कि अपने फर्ज के आगे हिमांशु अपने पांच साल के बच्चे के जन्मदिन पर भी घर नहीं आ सके। बेटा रोता रहा पापा आ जाओ। पापा घर कब आओगो? लेकिन हिमांशु को सबसे पहले अपना फर्ज निभाना है।
बेटे से कहा, जल्द ही गिफ्ट लेकर लौटूंगा
हिमांशु ने बताया कि बेटे से फोन पर बात की, उसे काफी समझाने की कोशिश भी की, लेकिन फिर भी उसे चुप नहीं करा सका। यह पहली बार हुआ कि इकलौते बेटे के जन्मदिन पर वहां मौजूद नहीं था। बेटे से कहा, जल्द ही उसके लिए गिफ्ट लेकर लौटूंगा....। लेकिन वह कई घंटों तक पिता को याद करते हुए रोता रहा। इस दौरान बच्चे कोइ रोता देख परिवार के सभी लोगों की आंखें नम हो गई।
पिता का देहांत हो चुका है
हिमांशु की शादी साल 2014 में हुई थी। कुछ समय पहले ही जॉब लगी थी। घर में छोटा भाई है जो मां, भाभी और अपने भतीजे का ध्यान रखता है। छोटे भाई की शादी नहीं हुई है। परिवार से लगभग हर दूसरे दिन हिमांशु बात करता है और मां और भाई को जल्द ही आने की कहता है। हिमांशु बताता है कि जब भी मां से बात करता हूं तो आसूं निकल आते हैं.... पहली बार उनसे इतना नजदीक रहकर भी उनसे मिल नहीं सकता। हर बार मां यही कहती हैं कि परिवार तो सुरक्षित है बस... इस बीमारी से सावधान रहो... बीमारों की सेवा करो और सब कुछ सही कर जल्द घर लौट आओ...। हिमांशु के पिता का देहांत काफी समय पहले हो गया था। तब से मां ही पूरे परिवार के लिए संबल है।
5 मार्च से नहीं आए घर
दरअसल महामारी के चलते मेडिकल स्टाफ और चिकित्साकर्मियों का काम बहुत ज्यादा बढ़ गया। यही कारण है कि पूरे प्रदेश में ही कई जगहों पर तो मेडिकल कार्मिक काफी दिनों से घर तक नहीं गए। दौसा निवासी हिंमाशु का भी यही हाल है। हिमांशु 5 मार्च से अपने अन्य साथियों के साथ ही अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। किसी को भी घर जाने की अनुमति नहीं है। अस्पताल के पास ही उनके रहने और खाने का इंतजाम विभाग ने किया है। यही कारण है कि वह पांच मार्च से अब तक घर नहीं गए।