दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज परिसर में मिले 1033 लोगों को वहां से निकाला गया है। कोरोना महामारी के समय जब पूरा देश लॉकडाउन से गुजर रहा है, उस समय एक साथ इतने लोगों को परिसर में होने की खबर के बाद पूरे देश में इसकी निंदा की जा रही है। हालांकि इन सभी लोगों को क्वारंटीन में भेज दिया गया है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 1033 लोगों में से 333 में कोरोना के लक्षण पाए गए। इनमें से ज्यादातर लोगों को बुखार और जुकाम की शिकायत देखी गई है। वहीं बाकी 700 लोगों को अलग—अलग क्वारंटाइन में भेज दिया गया है।यहां आपको बता दें कि दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान सहित 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 1 से 15 मार्च तक तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लिया था। इस बात पर ध्यान दें कि यहां कार्यक्रम 1 से 15 मार्च तक ही था। उसके बाद भी कई लोग यहीं रुके हुए थे। इसके बाद मरकज के प्रमुख पर एफआईआर दर्ज की गई है। पूरे मामले में पुलिस और मरकज से जुड़े लोगों के बयानों में विरोधाभास नजर आ रहा है। जहां दिल्ली पुलिस ने एफआईआर के बाद कहा है कि उसने यहां भीड़ एकत्रित ने करने के लिए मरकज को दो बार नोटिस दिया था। यानी पुलिस को पहले से यहां इन लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी थी। जबकि इस पूरी कार्रवाई को अचानक की गई कार्रवाई के रूप में दिखाया जा रहा है। साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द करने और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार, 23 मार्च और 28 मार्च को नोटिस दिया था, लेकिन नोटिस देने के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है।इसके बाद दिल्ली पुलिस ने यह पूरी कार्रवाई की। अब मरकज की ओर से भी बयान आया है। मौलाना यूसुफ ने बयान दिया है लॉकडाउन लागू होने से पहले ही वहां पर देसी—विदेशी मेहमान ठहरे हुए थे। कई निकल चुके थे, कई यहां रूक गए। जैसे ही लॉकडाउन का आदेश आया, लोग यहीं फंस गए। अपने शहरों को लौट नहीं सके तो उन्हें कहां भेजा जाता। यहां रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मौलाना युसुफ ने वो लेटर भी जारी किया है, जो उन्होंने हजरत निजामुद्दीन थाने के एसएचओ को 25 मार्च को लिखा था। इसमें उन्होंने इन लोगों के मरकज में होने की जानकारी दी और साथ ही लिखा था कि हम आपके लॉकडाउन आदेशों की पालना कर रहे हैं। मरकज में एक हजार से ज्यादा लोग हैं, इस बारे में हमने एसडीएम से 30 वाहनों के पास मांगे हैं, ताकि लोगों को इनके राज्यों तक भेजा जा सके। तब तक जो जहां है, वो वहीं रहेगा। हम इस लॉकडाउन का पालन यहां रहकर कर रहे हैं। वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इनमें से 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। आयोजकों ने घोर अपराध किया है। मैंने उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा है कि इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। अब यहां कई सवाल उठ रहे हैं कि यदि मरकज ने पुलिस को इसकी जानकारी दे दी थी, तो उसी समय लोगों को अपने स्टेट तक पहुंचाने की कोशिश क्यों नहीं की गई। पुलिस के मुताबिक जब उन्होंने 23 मार्च को ही मरकज को नोटिस दे दिया था, तो यह भी साफ है कि उन्हें इस परिसर में एक साथ इतने लोगों के वहां होने की जानकारी थी। जानकारी थी तो सरकार से बात कर इन लोगों को तब ही यहां से निकाला क्यों नहीं गया। महामारी के समय भी पुलिस ने खुद इतने लोगों के साथ रहने पर सिर्फ नोटिस ही क्यों दिया। उसी समय इन लोगों को वहां से निकाल लिया जाता तो शायद कोरोना को यहां फैलने से रोका जा सकता था।