कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस(Coronavirus) की वेक्सीन बनने में अभी साल-डेढ साल का समय और लग सकता है। इस बीच एक अच्छी खबर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के समय सामने आई है। डॉक्टरों को इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के दौरान संकेत मिले हैं कि एचआईवी(Hiv) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा लॉपिनाविर और रिटोनाविर इन मरीजों पर कारगर है। इसी को देखते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने फॉर्मा कंपनियों को इऩ दोनों दवाओं का प्रोडक्शन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों के साथ लंबी बैठक की। इसमें कमेटी ऑफ एक्सपर्ट्स ने सिपला, माइलन, ऑरोबिंदो और अन्य कंपनियों को एंटी एचआईवी दवाइयों का स्टॉक बढ़ाने को कहा है। लोपिनाविर और रिटोनाविर एंटी रेट्रोवायरल दवा है। ये एचाआईवी को स्वस्थ कोशिकाओं में घुसने से रोकती है। भारत इस समय इन दोनों दवाइयों का निर्यात अफ्रीकी देशों को करता है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कंपनियों को दोनों दवाइय़ों का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कहा गया है। हालांकि एक्सपोर्ट पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई गई है। इटली से भारत आई दंपती के इलाज में लोपिनाविर और रिटोनाविर कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया। ये दंपती जयपुर में कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा, दंपती की सहमति लेकर दोनों दवाई दी गई। इसका असर अच्छा हुआ। 14 दिनों बाद अब वे लगभग स्वस्थ हैं।