झांसी में प्रकृति का कहर फिर फूटा हैं, जहां असमय आंधी व बारिश ने किसानों की तैयार फसल को नष्ट किया और उनकी आजीविका पर फिर ग्रहण लगा दिया। स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता उदासीनता व शिथिलता के चलते अभी तक अतिवृष्टि से फसल नष्ट हुई हैं। किसनों को फसल का न तो बीमा क्लेम मिला और न हीं नष्ट हुई फसल की मुआवजा राशि। आखिर कब स्थानीय प्रशासन किसानों के प्रति संवेदनशील व सक्रिय होकर उनको समय से उनकी नष्ट हुई फसल का मुआवजा व पात्र किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिला पाएंगे। जहां पर आज सबसे ज्यादा सुधार की जरूरत है, वहां पर शासकीय खानापूर्ति नजर आ रही है और किसानों के नाम आ रही शासकीय मदद का बंदरवाट बादस्तूर जारी है। किसान इसी बंदरबांट का शिकार है। भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने असमय आंधी आने से हुई बारिश से नष्ट हुई फसल का सर्वे किया। जिसमें ग्रेहूं, चना, रबी की फसल में नुकसान पाया गया है।