वीडियो जानकारी:
पार से उपहार शिविर, 9.11.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
अशास्त्रविहितं घोरं तप्यन्ते ये तपो जनाः।
दम्भाहङ्कारसंयुक्ताः कामरागबलान्विताः৷৷
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १७ श्लोक ५)
जो मनुष्य शास्त्र विधि से रहित केवल मनःकल्पित घोर तप को तपते हैं।
वे दम्भ और अहंकार से युक्त एवं कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से भी युक्त हैं॥
~ शास्त्र किसे कहते हैं?
~ सही तप-दान-यज्ञ क्या है?
~ शास्त्रों के पाठ से हमें क्या लाभ होता है?
संगीत: मिलिंद दाते