वीडियो जानकारी:
पार से उपहार शिविर
10 अगस्त, 2019
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
"पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय"।।
इसमें जो प्रेम की बात है उसका क्या आशय है?
ज्ञान के साथ प्रेम होना ज़रूरी क्यों है?
सच्चा ज्ञानी कौन?
संगीत: मिलिंद दाते