मकर संक्रांति के अवसर पर सत्तरहवीं शताब्दी से लगाए जा रहे इस मेले में आस पास के पड़ोसी राज्यों से दुकानदार लगातार आकर अपनी दुकानें लगाते है। इस साल भी करमदहा मेला लोगों के लिए सजधज कर तैयार हो गया है। मेला के उद्घाटन होते ही यह पूरे शबाब पर होगा। इस बार मेले को आकर्षक बनाने में झूला, तारामांची, ड्रेगन, ब्रेक डांस, मौत का कुंआ, चित्रहार तथा मीना बाजार मुख्य तौर पर लोगों के मनोरंजन का साधन है। वहीं किसानों के लिए लोहे के बर्तन की दुकानें, दर्जनों की संख्या में इस बार भी लगायी गयी है। इसके अलावे फोटो स्टूडियो, सर्कस आदि सहित अन्य कई तरह की दुकानें भी मेला में लगायी गयी है।
बता दें कि गोविन्दपुर साहेबगंज हाइवे मुख्य पथ पर बराकर नदी करमदहा घाट के मेला प्लॉट पर यह मेला आजादी से बहुत पहले स्थानीय राज घराने की देखरेख में लगाया जाता था जो आज भी अपनी जीवंत कहानी को संजोये इस जगह को प्रसिद्धि दिला रही है। मेला पन्द्रह दिनों तक चलता है। मेला में पड़ोसी जिले धनबाद, गिरिडीह, मधुपुर एवं बंगाल के दुकानदार हर साल यहां अपनी दुकानें लगाते है।
मेले में लगा तारामाची। pachalit h