महाभारत का युद्ध होना जब निश्चित हो गया तब कौरव व पांडव अपने मित्रों व सम्बन्धियों को अपने-अपने पक्ष में करने में लग लगे। कौरव जानते थे कि श्रीकृष्ण पांडवों के पक्ष में रहेंगे पर उनकी नारायणी सेना की उपेक्षा नहीं की जा सकती। दुर्योधन की पुत्री का विवाह श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब से हुआ था अत: श्रीकृष्ण के महल में दुर्योधन को जाने में कोई बाधा नहीं थी। दुर्योधन जब श्रीकृष्ण के कक्ष में पहुंचे तब लीलामय श्रीकृष्ण निद्रा का नाटक कर नेत्र बंद करके लेटे हुए थे। पलंग के सिरहाने एक सुन्दर आसन देखकर दुर्योधन वहां बैठकर श्रीकृष्ण के जागने की प्रतीक्षा करने लगा।