नई दिल्ली. ''गुरूर को जलाएगी वो आग हूं, आकर देख मुझे, मैं शाहीन बाग हूं... जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं? यहां हैं, यहां हैं, यहां हैं''। जब आप दिल्ली के शाहीन बाग में धरने की जगह पर जाएंगे, तो इसी तरह की शायरी लिखे पोस्टर जगह-जगह पाएंगे। शाहीन बाग वही जगह है, जहां पिछले 38 दिन से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। यहां 15 दिसंबर से प्रदर्शन शुरू हुआ था, लेकिन एक भी दिन हिंसा नहीं हुई। प्रदर्शन पर बैठे लोगों में ज्यादातर महिलाएं हैं। बच्चे और बुजुर्ग भी यहां नजर आते हैं। हर धर्म के लोग यहां आकर लंगर लगाते हैं और प्रदर्शनकारियों को खाना खिलाते हैं। कोई अराजक तत्व नजर आता है तो लोग खुद ही उसे इलाके से बाहर कर देते हैं। यह भी एहतियात बरत रहे हैं कि कहीं कोई गलत बात किसी के मुंह से न निकले। भास्कर ने पिछले तीन दिनों में यहां सुबह, शाम और रात का पूरा माहौल देखा और जो देखा वो कुछ इस तरह है...