सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की जा रही है, जिसमें एक व्यक्ति सड़क पर पड़ा बचा हुआ खाना खाते नजर आ रहा है। दावा है कि काशी में इस व्यक्ति को बचा हुआ खाने को इसलिए मजबूर होना पड़ा] क्योंकि यह शूद्र है।
एक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा कि पेरियार को सड़कों पर पड़े बचे हुए भोजन को खाने के लिए मजबूर किया गया था। उन्हें भोजन खाने से इनकार किया गया था, क्योंकि वह काशी में शूद्र थे। उत्तरप्रदेश में एक शूद्र श्रमिक को धार्मिक आयोजन से बचा हुआ खाना खिलाया। आजादी के 75 वर्ष!
दैनिक भास्कर को पड़ताल में पता चला कि सोशल मीडिया का ये दावा झूठा है। वायरल तस्वीर उत्तरप्रदेश की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है। रिवर्स सर्चिंग में हमें बांग्लादेश में मानवाधिकार के लिए काम करने वाले पिनाकी भट्टाचार्य का आर्टिकल मिला, जिसमें उन्होंने यह फोटो भी दिखाई है।
इस आर्टिकल में लेखक ने सरकार की विकास न करने को लेकर आलोचना की है। वायरल तस्वीर में एक गाड़ी भी खड़े हुए दिख रही है, जिस पर बांग्लादेश पुलिस का लोगो लगा देखा जा सकता है। पड़ताल से स्पष्ट होता है कि यह तस्वीर उत्तरप्रदेश नहीं बांग्लादेश की है।